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नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा को लगाएं नौ अलग-अलग भोग, होगा शुभ

लखनऊ। शारदीय नवरात्र मां दुर्गा की पूजा के लिए बहुत महत्व रखता है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इन नौ दिनों में मां को उनके प्रिय भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी करती हैं, तो आइए देवी के दिव्य भोग के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

शारदीय नवरात्र के नौ दिन और नौ अलग-अलग भोग

पहला दिन (मां शैलपुत्री) – इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। उन्हें गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे रोग और कष्ट दूर होते हैं।
दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी) – मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री का भोग लगाया जाता है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।
तीसरा दिन (मां चंद्रघंटा) – इस दिन मां चंद्रघंटा को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति मिलती है और सभी दुख दूर होते हैं।
चौथा दिन (मां कूष्मांडा) – मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। इससे देवी खुश होती हैं और जीवन के सभी दुखों का नाश करती हैं।
पांचवां दिन (मां स्कंदमाता) – मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। इससे सेहत अच्छी रहती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
छठा दिन (मां कात्यायनी) – मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक की आकर्षण शक्ति बढ़ती है और रिश्ते मधुर होते हैं।
सातवां दिन (मां कालरात्रि) – इस दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और भय से मुक्ति मिलती है।
आठवां दिन (मां महागौरी) – मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना बहुत शुभ होता है। इससे संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
नौवां दिन (मां सिद्धिदात्री) – शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं। इससे अचानक आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है।

दस दिनों का होगा शारदीय नवरात्र
मां आदिशक्ति की आराधना, शक्ति की साधना, ऋतुओं के संधिकाल में पड़ने वाला आध्यात्मिक ऊर्जा के संचयन का महापर्व शारदीय नवरात्र इस बार दस दिनों का होगा। श्रद्धालुओं को मां की उपासना का अवसर नौ दिनों की बजाय दस दिनों तक मिलेगा।
इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा और प्रस्थान मनुष्य की सवारी से करेंगी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि इस बार शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से आरंभ होंगे और दो अक्ट्रबर को विजयदशमी के साथ समापन होगा। उनका कहना है कि ज्योतिषीय दृष्टि से नवरात्र के दिनों में वृद्धि को शुभ माना जाता है। इससे पहले द्वितीया तिथि की वृद्धि के कारण 2016 में शारदीय नवरात्र दस दिनों का पड़ा था।
आश्विन शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात 1:23 बजे लगेगी और 22 सितंबर की अर्धरात्रि के बाद रात के तीसरे प्रहर 2.55 बजे तक रहेगी। ऐसे में आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 22 सितंबर को होगी और उसी दिन कलश स्थापना की जाएगी और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री देवी का पूजन होगा।
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 29 सितंबर की शाम 4:31 बजे से लगेगी। इसलिए महाष्टमी 30 सितंबर को होगी। एक अक्टूबर का महानवमी का व्रत किया जाएगा। केवल प्रतिपदा और अष्टमी का व्रत करने वाले व्रती एक अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगे, जबकि पूरे नौ दिनों का अनुष्ठान करने वाले विजयदशमी के दिन दो अक्टूबर को व्रत का पारण करेंगे। एक अक्टूबर को महानवमी का व्रत होगा। उसी दिन कन्या पूजन, अपराजिता, शमी पूजन तथा हवन के साथ अनुष्ठानों की पूणार्हुति होगी। विजयदशमी दो अक्टूबर को मनाई जाएगी।

चतुर्थी की वृद्धि के चलते हो रहा दिस दिनी नवरात्र

प्रो. पांडेय बताते हैं कि इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि है। तिथि के दो दिन पड़ने के कारण इस बार नवरात्र दस दिनों का होगा। चतुर्थी तिथि 25 सितंबर व 26 सितंबर को भी रहेगी। 26 सितंबर को सूर्योदय के पश्चात प्रात: काल 6:48 बजे तक चतुर्थी होने के कारण उदयातिथि में 26 को भी चतुर्थी का मान होगा। पंचमी तिथि अगले दिन 27 सितंबर को 8:46 बजे रहेगी, अतएव उदयातिथि में पंचमी 27 सितंबर को ही मिलने के कारण पंचमी का 27 सितंबर को होगा।

हाथी पर मां का आगमन देगा सुख-सौभाग्य

ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय बताते हैं कि इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जो शुभ संकेत है। इसे अच्छी वर्षा और कृषि में वृद्धि का सूचक माना जाता है। दूध का उत्पादन बढ़ता है, साथ ही देश में धन धान्य की बढ़ोतरी होती है। माता का प्रस्थान मनुष्य की सवारी पर होगा।

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