स्टॉकहोम। आनुवंशिक रोगों और यहां तक कि कैंसर के उपचार में भविष्य में मददगार साबित होने वाली जीनोम एडिटिंग की एक पद्घति विकसित करने के लिए रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 2020 का नोबेल पुरस्कार दो महिला वैज्ञानिकों को देने की बुधवार को घोषणा की गई। स्टॉकहोम में स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार एमैनुएल चारपेंटियर और जेनिफर ए. डॉडना को देने की घोषणा की है।
यह पहला मौका है जब रसायन विज्ञान के क्षेत्र में दो महिलाओं को एक साथ इस पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक एमैनुएल और अमेरिकी वैज्ञानिक जेनिफर ने सीआरआईएसपीआरासीएएस9 (क्रिस्पराकास9) नाम की एक पद्घति विकसित की, जिसका इस्तेमाल जंतुओं, पौधों और सूक्ष्म जीवों के डीएनए को अत्यधिक सूक्ष्मता से बदलने में किया जा सकता है।
रसायन विज्ञान के लिए नोबेल समिति के अध्यक्ष क्लेज गुस्ताफसन ने कहा, इस आनुवंशिक औजार में अपार क्षमता है, जो हम सभी को प्रभावित करता है। इसने न सिर्फ बुनियादी विज्ञान में क्रांति लाई है, बल्कि यह एक नवोन्मेषी उपाय के रूप में सामने आया है और यह नए मेडिकल उपचार में जबरदस्त योगदान देने वाला है। उन्होंने कहा कि नतीजतन, आनुवंशिक क्षति को दुरूस्त करने के लिए कोई भी जीनोम अब संपादित किया जा सकता है। यह औजार मानवता को बड़े अवसर प्रदान करेगा।
हालांकि, उन्होंने आगाह करते हुए कहा, इस प्रौद्योगिकी की अपार क्षमता का यह मतलब भी है कि हमें अत्यधिक सावधानी के साथ इसका उपयोग करना होगा। इसने वैज्ञानिक समुदाय में पहले ही गंभीर नैतिक सवाल उठाए हैं। ज्यादातर देश सीआरआईएसपीआरासीएएस9 प्रौद्योगिकी से 2018 में ही अवगत हो गए थे, जब चीनी वैज्ञानिक डॉ हे जियानकुई ने यह खुलासा किया था कि उन्होंने विश्व का पहला जीन-संपादित शिशु बनाने में मदद की थी।
एड्स विषाणु के भविष्य में संक्रमण को रोकने के लिए प्रतिरोधी क्षमता तैयार करने की कोशिश के तहत ऐसा किया गया था। उनके इस कार्य की दुनियाभर में निंदा की गई थी क्योंकि यह मानव पर एक असुरक्षित प्रयोग था। इसने मनुष्य की आनुवंशिकी में गैर इरादतन बदलावों का खतरा पैदा किया जो भविष्य की पीढय़िों में हस्तांतरित हो सकता था। वह अभी जेल में हैं।





