अक्षय नवमी पर श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखते हैं
लखनऊ। हिंदू धर्म में अक्षय नवमी का विशेष महत्व होता है। यह तिथि बहुत ही शुभ और पुण्यदायी तिथि मानी जाती है। अक्षय नवमी हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी को पड़ती है। इस दिन का खास महत्व आंवला के पेड़ से जुड़ा है, जिसे स्वास्थ्य और औषधीय गुणों वाला माना जाता है। इस बार अक्षय नवमी 31 अक्टूबर को मनायी जायेगी। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करनी चाहिए और वहीं भोजन बनाकर सबसे पहले भगवान विष्णु और शिवजी को भोग अर्पित किया जाता है। अक्षय नवमी पर श्रद्धालु पूरे दिन व्रत रखते हैं। शाम को पूजा-अर्चना के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और विधिपूर्वक पूजा करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि आती है। खासकर महिलाएं इस दिन उपवास रखती हैं और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं। इस अक्षय नवमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन वृद्धि योग भी बन रहा है। यह योग समृद्धि और उन्नति देने वाला माना जाता है और यह सुबह 6:17 बजे से प्रभावी रहेगा। पूरे दिन रवि योग का संयोग भी है, जिसमें किए गए कार्य सफल माने जाते हैं और मां लक्ष्मी की विशेष कृपा मिलती है। इसके अलावा, शिववास योग भी बना है, जो पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए बहुत फलदायी माना जाता है।
करण और नक्षत्र:
इस दिन दो विशेष नक्षत्र बन रहे हैं धनिष्ठा और शतभिषा, जो शांति और समृद्धि का प्रतीक हैं। साथ ही, दो शुभ करण झ्र कौलव और तैतिल भी उपस्थित हैं। इन शुभ योगों में लक्ष्मी नारायण की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और मनोकामना की पूर्ति होती है।
अक्षय नवमी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। व्रत का संकल्प लें और पूजा स्थल की सफाई करें। माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। आंवले के पेड़ के नीचे पूजा सामग्री रखें और हल्दी, चावल, कुमकुम, फूल और जल से पूजा करें। घी का दीपक जलाएं और 7 बार परिक्रमा करें। उसी स्थान पर भोजन बनाएं और सबसे पहले भगवान विष्णु और शिवजी को भोग लगाएं। भोग अर्पित करने के बाद प्रसाद ग्रहण करें। अक्षय नवमी का यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि आर्थिक और पारिवारिक समृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी माना जाता है। इस दिन किए गए शुभ कार्य और पूजा का असर सालभर दिखाई देता है।





