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भाजपा सरकार की कुनीतियों के कारण घोर संकट में किसान : अखिलेश यादव

  • कृषकों के लिए की गयी तमाम योजनाओं फाइलों में खा रही हैं धूल

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में अन्नदाता किसान भाजपा सरकार की कुनीतियों के कारण घोर संकट में है। किसान की फसल की खुलेआम लूट हो रही है।

अखिलेश ने कहा कि मुख्यमंत्री के सत्ता में चार वर्ष होने को हैं, लेकिन अभी तक उनको यह एहसास नहीं है कि अधिकारी उन्हें गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। किसानों के लिए की गयी तमाम घोषणाएं फाइलों में धूल खा रही हैं । सभी किसानों की कर्ज माफी का वायदा पूरा नहीं हुआ। फसल बीमा का फायदा बीमा कम्पनियों के हिस्से में गया है, आय दुगनी होने की सम्भावना दूर-दूर तक नहीं। सस्ते कर्ज और लागत से ड्योढ़े मूल्य की अदायगी का इंतजार करते-करते किसानों की आंखें पथरा गयी हैं।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि जब कृषि अध्यादेशों को अधिनियम बनाया जा रहा था तभी यह आशंका थी कि इससे किसानों का ज्यादा अहित होगा। किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से वंचित होना पड़ेगा। राज्य में धान खरीद की शुरूआत के साथ किसानों की तबाही के दिन शुरू हो गये हैं।

सरकारी दावों के बावजूद कितने धान खरीद केंद्र खुले हैं या खरीद कर रहे हैं इसकी तो अलग से जांच होनी चाहिए। जब राजधानी लखनऊ के एक क्षेत्र में ही एडीएम साहब और एकाधिक लेखपाल घंटों धान खरीद केंद्रों की तलाश में घूमते रहे तब कहीं एक केंद्र ढूंढ पाएं वहां भी खरीद नहीं हो रही थी।

अखिलेश ने कहा कि एक तो किसान को आनलाइन पंजीकरण में ही मुश्किल होती है, दूसरे वहां भी वसूली का खेल शुरू हो गया है। आनलाइन बुकिंग के नाम पर किसान से 50 रुपये से लेकर 100 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। धान खरीद केंद्रों पर किसान अपनी फसल लिए तीन-चार दिन तक पड़ा रहता है।

उसके लिए इन केंद्रों पर ज़रूरी सुविधाओं तक की व्यवस्था नहीं है। कभी तौल के लिए मजदूर न होने का बहाना होता है तो कभी डस्टर की कमी का रोना होता है। इसके आगे धान खरीद केंद्रों पर किसानों को धान के मानक अनुकूल न होने का ज्ञान देकर लौटा दिया जाता है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि धान खरीद केंद्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य 1888 रूपए प्रति कुंतल अदा करना होता है। यहां केंद्र प्रभारियों और बिचैलियों की साठगांठ की साजिशें शुरू होती है। क्रय केंद्रों पर खरीद न होने से परेशान किसान को अपनी फसल 1000 या 1100 रूपये प्रति कुंतल बेचने को मजबूर है। धान खरीद में अनियमितता और लापरवाही के ये मामले कोई इसी साल के नहीं है, यही कहानी साढ़े तीन साल से दुहराई जा रही है। मुख्यमंत्री लाख कहें अधिकारी उसे अनुसुना कर देते हैं।

अखिलेश ने कहा कि किसान का दर्द भाजपा नेतृत्व और सरकार को इसलिए भी महसूस नहीं होता क्योंकि उसकी नीतियां ही किसान विरोधी और पूंजीघरानों की पोषक हैं। गन्ना किसानों का अभी भी पिछले सत्र का लगभग दस हजार करोड़ रूपए से ज्यादा बकाया है। नया सीजन शुरू हो चुका है। गन्ना की कीमत और चीनी मिलों तथा बिचैलियों से किसानों को राहत कैसे मिलेगी? बाढ़ पीड़ित किसानों को पर्याप्त मुआवजा नहीं मिला है। छुट्टा पशुओं द्वारा फसलों के नुकसान का मुआवजा भी आज तक नहीं दिया गया है।

सपा अध्यक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपराधियों को जेल भेजने की बात न जाने कितनी बार दुहरा चुके हैं लेकिन हकीकत में मर्ज बढ़ता गया ज्यों-त्यों दवा की। जब किसान लुट चुका होगा तब भाजपा सरकार लुटेरों को चिह्नित करेगी, यह तो अजीब खेल है। भाजपा सरकार में ऊपर से नीचे तक घोटालों और भ्रष्टाचार का बोलबाला है। किसान भी अच्छी तरह समझने लगे हैं कि उनकी लूट इस अंधेरराज में होगी ही। सचमुच, भाजपा है तो किसानों की दुर्दशा मुमकिन है।

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