वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने खगोल तकनीक के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रयास का आगाज किया है। उन्होंने भारतीय खगोल तकनीक को बढ़ावा देने के लिए के लखनऊ विश्वविद्यालय और व्राटिनो टेक्नोलॉजी, गोरखपुर के बीच एक मेमोरेंडम आॅफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए, जिनका उद्देशय भारतीय खगोल तकनीक को बढावा देना है।
इस ऐतिहासिक एमओयू का महत्व इसमें है कि यह भारत को खगोल अंवेषण के नए युग में पहुंचाने के लिए कार्य करेगा। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने अपने संबोधन में लखनऊ विश्वविद्यालय के खगोल विज्ञान विभाग के ऐतिहासिक महत्व को उजागर किया तथा भारत के खगोल शास्त्र के क्षेत्र में उसकी महती भूमिका पर प्रकाश डाला। व्राटिनो टेक्नोलॉजी भारत के प्रथम स्वदेशी खगोल शोधशाला प्रौद्योगिकी में योगदान करने पर गर्व करता है और इस सहयोग के माध्यम से इस प्रौद्योगिकी को लगातार नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस अवसर पर डीन एकेडेमिक्स प्रो. पूनम टंडन, गणित और खगोल विज्ञान विभाग की प्रो. अल्का मिश्रा, व्राटिनो के निदेशक सचिन्द्र नाथ उपस्थित रहे। श्री नाथ ने विस्तार से बताया कि इस एमओयू के परिप्रेक्ष्य में व्राटिनो टेक्नोलॉजी और लखनऊ विश्वविद्यालय अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरिक्ष जागरूकता कार्यक्रम के लिए नई तकनीक और उपकरण विकसित करने में सहयोग करेंगे। इस शैक्षिक सत्र से लागू इस समझौते के अंतर्गत की जाने वाली पहलों मे प्रमुख ध्यान अंतरिक्ष विज्ञान और खगोल शोधन सामग्री के विकास पर होगा।
व्राटिनो टेक्नोलॉजी छात्रों को खगोल और खगोलशास्त्र के क्षेत्र में ज्ञान और अन्वेषण की ओर बढ़ने में मदद करेगा तथा उपकरणों को विश्वविद्यालय में उपलब्ध कराकर अद्वितीय खगोल खोजों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगी। इस गठबंधन का उद्देश्य छात्रों को नवाचारी उपकरणों और ज्ञान के साथ संपूर्ण करने के बाद उद्योग में उन्नति के लिए तैयार करना है।
लखनऊ विश्वविद्यालय और व्राटिनो टेक्नोलॉजी के संयुक्त प्रयासों का उद्देश्य भारत को उसकी पहली स्वदेशी खगोल विज्ञान शोधशाला की स्थापना करने का भी है। इस दृष्टि से, यह संयुक्त प्रयास भारत को आकाशगंगा में एक नई ऊंचाइयों तक ले जाने का लक्ष्य रखता है।