लखनऊ। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को मित्र अफ्रीकी देशों के साथ रक्षा जुड़ाव को अगले स्तर तक ले जाने के लिए भारत की तत्परता का संकेत दिया। डिफेंस एक्सपो के मौके पर लखनऊ में भारत-अफ्रीका के रक्षा मंत्रियों की कॉन्क्लेव को संबोधित करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि ‘भारत के जुड़ाव का और ज्यादा विस्तार होगा’। यह विशेष रूप से रक्षा सहयोग पर आपकी प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित एक साझेदारी होगी।
इनमें आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में सहयोग और आपसी क्षमताओं को मजबूत करना, हमारे साइबर स्पेस को सुरक्षित रखना और आगे बढ़ने और शांति बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र को सहायता प्रदान करना शामिल है। आज भारत-अफ्रीका के रक्षा मंत्रियों के कॉन्क्लेव में 12 रक्षा मंत्रियों और 38 देशों के प्रतिनिधि शामिल थे। उन्होंने कहा कि रक्षा उद्योग के क्षेत्र में निवेश, रक्षा उपकरण, सॉफ्टवेयर, डिजिटल रक्षा, अनुसंधान एवं विकास में संयुक्त उद्यम, रक्षा उपकरण एवं स्पेयर्स मुहैया करवाने और उनका रखरखाव करने सहित रक्षा उद्योग के क्षेत्र में अत्यधिक सहयोग के लिए नई दिल्ली उम्मीद लगाए हुए है।
उन्होंने कहा ‘सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में भारतीय रक्षा उद्योग द्वारा की जा रही तेजी से प्रगति और रक्षा आरएंडडी ने हमारे व्यवसाय को अगले स्तर पर ले जाने के लिए सहयोग की नई संभावनाएं खोल रखी हैं। भारतीय रक्षा विनिर्माण कंपनियां अब कारोबार में कुछ प्रमुख नामों के साथ साझेदारी कर रही हैं और उनकी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा हैं’।
उन्होंने कहा ‘भारत हमारे अफ्रीकी समकक्षों को ऑफ शोर पेट्रोल वेसल (ओपीवी), फास्ट इंटरसेप्टर बोट, बॉडी और वाहन कवच, नाइट विजन गॉगल्स (एनवीजी), मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), डोर्नियर विमान और हथियार और गोला-बारूद प्रदान करने के लिए तैयार है।’
राजनाथ सिंह ने अफ्रीकी देशों द्वारा सामना की जाने वाली रक्षा की छोटी से छोटी जरूरतों और चुनौतियों के समाधानों के लिए डिफेंस एक्सेलेंस के लिए नवाचार और मेक-2 प्रापण प्रक्रिया जैसे भारत के अनुभव को साझा करने की पेशकश की।
राजनाथ सिंह ने जोर देकर कहा ‘अफ्रीका के साथ हमारी साझेदारी एक खुली साझेदारी है जिसमें हमारी ओर से सहयोग के लिए सभी संभावनाओं की खुली सहमति है और आप अपनी प्राथमिकताओं तथा आवश्यकताओं के अनुसार निर्णय ले सकते हैं’। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारत-प्रशांत क्षेत्र की शांति और सुरक्षा के लिए सागर (सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास) सहित अफ्रीकी दृष्टिकोण के साथ भारत हमारे समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को गहरा करना चाहता है।
उन्होंने कहा कि भारत और अफ्रीका दोनों के लिए इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा समान हित का विषय है, सरकार ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के लिए सागर (सुरक्षा और क्षेत्र में सभी के लिए विकास) के माद्यम से अत्यधिक बल दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि अफ्रीका के साथ भारत के सुरक्षा संबंध अफ्रीकी सेवा कर्मियों को प्रशिक्षण प्रदान करनेए संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों में महाद्वीप और समुद्री सहयोग भागीदारी पर केंद्रित हैं।
रक्षा मंत्री ने ब्लू अर्थव्यवस्था के विकास के लिए आवश्यक सुरक्षित समुद्र के महत्व पर जोर दिया जो। उन्होंने कहा कि भारत ने चोरी, ड्रग्स, हथियारों और मनुष्यों की तस्करी और अवैध रूप से मछली पकड़ने के अपराधों के रूप में आम सुरक्षा चुनौतियों को मान्यता दी। इन चुनौतियों के संबंध में क्षमता निर्माण, सूचना साझाकरण और निगरानी के लिए मजबूत साझेदारी का आह्वान किया गया।
उन्होंने कहा कि जैसे कि मोजाम्बिक में चक्रवात इदई और हाल ही में, मेडागास्कर में चक्रवात डेयान क्षेत्र में भारत की बढ़ती व्यस्तता ने संकट के समय में मानवीय सहायता प्रदान करने अहम योगदान दिया है। कॉन्क्लेव ने रक्षा सहयोग पर भारत-अफ्रीका घोषणा को अपनाया।
रक्षा राज्य मंत्री श्रीपद नाईक, चीफ आॅफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल करमबीर सिंह, वायु सेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया, थलसेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार और रक्षा मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।