लखनऊ। चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा, शनिवार को लखनऊ में स्थापित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर मठ.मंदिर की ओर से नमोस्तुते मां गोमती की आरती की गई। डालीगंज गोमती तट पर स्थित मंदिर के उपवन घाट पर महंत देव्यागिरी की अगुवाई में 11 वेदियों से आरती हुई। इससे पहले उपवन घाट पर मंदिर के सेवादारों ने सुदंरकाण्ड का पाठ किया। मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरी महाराज ने हनुमान जी का विधि-विधान से पूजन किया। उन्होने हनुमान जी पूजन का श्रृंगार किया। इस अवसर पर घाट हनुमान जी जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
दीपों से जगमगाया उपवन घाट:
सूर्यास्त के बाद प्रदोष बेला में घंटे और शंख घ्वनि के बीच माता की आरती शुरू हुई। महंत देव्यागिरी स्वयं भी एक वेदी पर आरती कर रहीं थीं। इसके अलावा अन्य वेदियों से आरती की गई। इस भक्तिमय दृश्य को देखकर भक्त भावविभोर हो गए। इस अवसर पर उपवन घाट को दीपों की माला से सजाया गया था। घाट पर कहीं ओम् तो कहीं स्वास्तिक आकार में प्रज्जवलित दीपक सजाए गए थें। जगमगाते दीपक मन में नई उर्जा का संचार कर रहे थे। इस अवसर पर काफी संख्या में भक्तों ने महाआरती के दर्शन किए। वहीं इस अवसर पर आए कलाकारों ने प्रभु के भक्त हनुमान जी की पावन लीलाओं का मंचन किया। लीला में उनकी बालपन की लीला को देखकर दर्शक बहुत हर्षित हुए। कार्यक्रम की सारी व्यवस्था मंदिर की प्रमुख कार्यकर्ता उपमा पाण्डेय की देखरेख में हुई। मंदिर की महंत देव्यागिरी जी महाराज ने आए सभी भक्तों को हनुमान जन्मोत्सव की शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हनुमान बल और बुद्धि के निधान थे, लेकिन उन्होंने अपनी शक्ति को कभी किसी को सताने या अपने बलप्रदर्शन के लिए नहीं किया। हनुमान जी ने अपनी ताकत का उपयोग दुष्टों और अत्याचारियों का संहार करने के लिए किया। इसलिए व्यक्ति को उनसे यह सीख लेनी चाहिए कि अपनी ताकत का उपयोग अच्छे कार्यो के लिए करना चाहिए न कि किसी को परेशान करने की नियत से करे । दूसरी बात वह जितने प्रभु श्रीराम के भक्त थे, उतने ही वह माता सीता के भी भक्त थे, उन्होंने सीता जी को माता के समान ही माना था और हमेशा मां ही कहा है। यह सीख भी लेनी चाहिए कि उनकी तरह ही पुरूषों को नारियों का सम्मान करना चाहिए।