‘गूंज’ शहर और गांवों के बीच एक सेतु

भारत के 23 राज्यों में गूंज का सामाजिक सेवा का विस्तार, लोगों से सहयोग की अपील
लखनऊ। भारत में सामाजिक बदलाव की दिशा में कार्य कर रही गैर-सरकारी संस्था गूंज आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है। यह संस्था शहरों में अनुपयोगी हो चुके वस्त्रों, घरेलू सामानों और अन्य उपयोगी सामग्रियों को एकत्र कर उन्हें गांवों और जरूरतमंद समुदायों तक पहुंचाने का कार्य करती है। गूंज का प्रयास न केवल सामुदायिक विकास को गति देता है, बल्कि समाज में एकजुटता और सहयोग की मिसाल भी पेश करता है।
गूंज का कार्य शहरों और गांवों के बीच एक मजबूत कड़ी के रूप में सामने आता है। जहां एक ओर शहरों में लोग अपनी वस्तुएं अनुपयोगी समझकर त्याग देते हैं, वहीं वही वस्तुएं ग्रामीण क्षेत्रों में किसी जरूरतमंद की जिंदगी को संवार सकती हैं। गूंज इन्हीं वस्तुओं को एकत्र कर ससम्मान और व्यवस्थित तरीके से जरूरतमंदों तक पहुंचाता है। गूंज केवल वस्त्र या सामान वितरित करने तक सीमित नहीं है। संस्था आपदा राहत कार्यों, मानवीय सहायता और सामुदायिक विकास के कार्यक्रमों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। चाहे बाढ़ हो, सूखा हो या अन्य प्राकृतिक आपदा — गूंज हर बार अग्रिम पंक्ति में खड़ा नजर आता है। आज गूंज का कार्यक्षेत्र 23 राज्यों में फैला हुआ है। हर राज्य में स्थानीय जरूरतों के अनुसार गूंज अपनी योजनाएं संचालित कर रहा है। गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता और आजीविका के क्षेत्र में संस्था के प्रयासों ने सकारात्मक बदलाव लाए हैं। गूंज ने आम नागरिकों से अपील की है कि वे अपने घरों में रखे अनुपयोगी कपड़े, बर्तन, खिलौने, किताबें, स्टेशनरी और अन्य उपयोगी सामग्री संस्था के निर्धारित कैंपों पर लाकर जमा करें। आपका छोटा सा योगदान किसी जरूरतमंद के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकता है। गूंज द्वारा विभिन्न इलाकों में सामूहिक संग्रहण शिविर (कैंप) लगाए जा रहे हैं, जहां लोग अपनी वस्तुएं देकर इस सामाजिक आंदोलन का हिस्सा बन सकते हैं। अधिक जानकारी और शिविरों के स्थान जानने के लिए गूंज की आधिकारिक वेबसाइट या स्थानीय प्रतिनिधियों से संपर्क किया जा सकता है।

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