नयी दिल्ली। देश में बीते 24 घंटे में कोरोना वायरस के रिकॉर्ड 6,654 नए मामले सामने आए जिसके साथ शनिवार को संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 1,25,101 पर पहुंच गए। इस अवधि में 137 मरीजों की मौत हुई और मृतक संख्या बढ़कर 3,720 हो गई। लगातार दूसरे दिन इतनी बड़ी संख्या में संक्रमण के मामले सामने आए हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के बुलेटिन में यह जानकारी दी गई। इसके मुताबिक फिलहाल देशभर में कुल 69,597 संक्रमितों का इलाज चल रहा है, 51,783 लोग स्वस्थ्य हो चुके हैं और एक मरीज देश से बाहर चला गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि अब तक करीब 41.39 फीसदी मरीज ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के कुल 1,25,101 मामलों में विदेशी मरीज भी शामिल हैं।
शुक्रवार से जिन 137 लोगों की मौत हुई है उनमें से 63 महाराष्ट्र में, 29 गुजरात में, 14-14 दिल्ली और उत्तर प्रदेश में, छह पश्चिम बंगाल में, चार तमिलनाडु में, दो-दो राजस्थान, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में तथा एक मरीज की मौत हरियाणा में हुई।
सरकार ने शुक्रवार को एक संशोधित परामर्श जारी कर गैर कोविड-19 अस्पतालों में काम कर रहे बिना लक्षण वाले स्वास्थ्यसेवा कर्मियों, निरुद्ध क्षेत्रों (कंटेनमेंट जोन) में निगरानी ड्यूटी पर तैनात कर्मियों और कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने संबंधी गतिविधियों में शामिल अर्द्धसैन्य बलों, पुलिसकर्मियों को रोग निरोधक दवा के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) का इस्तेमाल करने की सिफारिश की है।
इससे पहले जारी परामर्श में किए उल्लेख के अनुसार, कोविड-19 को फैलने से रोकने एवं इसका इलाज करने में शामिल बिना लक्षण वाले सभी स्वास्थ्यसेवा कर्मियों और संक्रमित लोगों के घरों में संपर्क में आए लोगों में संक्रमण के खिलाफ इस दवा का इस्तेमाल करने की भी सिफारिश की गई है।
हालांकि, आईसीएमआर द्वारा जारी संशोधित परामर्श में आगाह किया गया है कि दवा लेने वाले व्यक्ति को यह नहीं सोचना चाहिए कि वह एकदम सुरक्षित हो गया है। संशोधित परामर्श के अनुसार एनआईवी पुणे में एचसीक्यू की जांच में यह पाया गया कि इससे संक्रमण की दर कम होती है।
इसमें कहा गया है कि यह दवा उन लोगों को नहीं देनी चाहिए, जो नजर कमजोर करने वाली रेटिना संबंधी बीमारी से ग्रस्त है, एचसीक्यू को लेकर अति संवेदनशीलता है तथा जिन्हें दिल की धड़कनों के घटने-बढ़ने की बीमारी है। परामर्श में कहा गया है कि इस दवा को 15 साल से कम आयु के बच्चों तथा गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली महिलाओं को न देने की सिफारिश की जाती है। इसमें कहा गया है कि यह दवा औपचारिक सहमति के साथ किसी डॉक्टर की निगरानी में दी जाए।