एचएमपीवी के देश में 5 मामले, केंद्र ने जागरूकता फ़ैलाने की दी सलाह, बताएं बचाव के उपाय

नयी दिल्ली। भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण के पांच मामले सामने आने के बाद केंद्र ने राज्यों को इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) और गंभीर तीव्र श्वसन संबंधी रोग (एसएआरआई) सहित श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए निगरानी बढ़ाने तथा एचएमपीवी की रोकथाम के बारे में जागरूकता फैलाने की सलाह दी है।

केंद्र स्वास्थ्य सचिव ने की बैठक

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने सोमवार को राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक डिजिटल बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में स्वास्थ्य सचिव ने देश में श्वसन संबंधी बीमारियों और एचएमपीवी मामलों एवं उनके प्रबंधन के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों का जायजा लिया गया। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया कि बैठक में स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव डॉ. राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी), भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और आईडीएसपी की राज्य निगरानी इकाइयों के विशेषज्ञ शामिल हुए।

इन राज्यों में मिला वायरस

बैठक चीन में एचएमपीवी मामलों में वृद्धि की खबरों के बीच आयोजित की गई थी तथा उसी दिन कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में एचएमपीवी के पांच मामलों की पुष्टि हुई थी। एचएमपीवी को वैश्विक स्तर पर श्वसन संबंधी वायरस कहा जाता है। यह एक संक्रामक रोगाणु है जो किसी भी आयु वर्ग के लोगों में श्वसन संबंधी संक्रमण का कारण बन सकता है। बयान में कहा गया कि बैठक के दौरान यह बात दोहराई गई कि आईडीएसपी के आंकड़ों से देश में कहीं भी आईएलआई और एसएआरआई के मामलों में कोई असामान्य वृद्धि के संकेत नहीं मिले हैं। बयान के अनुसार, आईसीएमआर के प्रहरी निगरानी डाटा से भी इसकी पुष्टि होती है। बयान में कहा गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव श्रीवास्तव ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों को इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि एचएमपीवी 2001 से ही विश्व स्तर पर मौजूद है। उन्होंने राज्यों को आईएलआई/ एसएआरआई निगरानी को मजबूत करने और उसकी समीक्षा करने की सलाह दी।

इस तरह करें बचाव

राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे वायरस के संक्रमण की रोकथाम के बारे में लोगों के बीच सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) तथा जागरूकता को बढ़ाएं जैसे कि साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोना, गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को नहीं छूना, रोग के लक्षण वाले लोगों के साथ निकट संपर्क से बचना और खांसते एवं छींकते समय मुंह एवं नाक को ढंकना। बयान में कहा गया कि श्रीवास्तव ने दोहराया कि श्वसन संबंधी बीमारियों में आमतौर पर सर्दियों के महीनों में वृद्धि देखी जाती है और देश ऐसे मामलों में किसी भी संभावित वृद्धि की आशंका को लेकर पूरी तरह तैयार है। बैठक के दौरान बताया गया कि आईसीएमआर-वीआरडीएल प्रयोगशालाओं में पर्याप्त नैदानिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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