लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोविड19 से पीड़ित 23 और लोगों की मौतों के साथ ही बृहस्पतिवार को मृतकों की संख्या बढ़कर 488 हो गई। इसके साथ ही राज्य में संक्रमण के 604 नए मामले सामने आए हैं। अपर मुख्य सचिव (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य) अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के 604 नए मामलों के साथ अब तक कुल 15,785 मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही 23 और लोगों की मौत के साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण से मरने वालों की संख्या 488 हो गई है।
अब तक कुल 9,638 लोग पूरी तरह ठीक
प्रसाद ने कहा कि अब तक कुल 9,638 लोग पूरी तरह ठीक होकर अस्पतालों से घर जा चुके हैं और 5,659 लोगों का इलाज चल रहा है। उन्होंने बताया कि बुधवार को 16,546 जांच की गईं। स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश में अब नमूनों की क्रमरहित जांच शुरू की है। किसी के संक्रमित होने का पता चलने या जिसमें बीमारी के लक्षण होते हैं, उनके नमूनों की जांच होती है। स्वास्थ्यकर्मियों की भी जांच की जाती है। निषिद्ध क्षेत्रों की प्रक्रिया से संबंधित आशा कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न लोगों की भी जांच की जाती है।
18 जिलों में बहुत ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार लौटे
प्रसाद ने कहा कि कुछ जांच इससे अलग भी शुरू की गई हैं। जिन 18 जिलों में बहुत ज्यादा संख्या में प्रवासी कामगार लौटे थे, वहां चार-चार गांव ऐसे चुने गए जिनमें 100 या उससे अधिक प्रवासी कामगार लौटे थे। उनके लौटने के 15 दिन बाद क्रमरहित जांच कराई गई थी। इसका मकसद यह देखना था कि कहीं प्रवासी कामगारों के कारण गांव के अन्य लोगों को संक्रमण तो नहीं हो रहा है। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि हालांकि ऐसी जांच में संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया। इसका मतलब है कि ग्राम निगरानी समितियों ने अच्छा काम किया और प्रवासी श्रमिक भी अपने उत्तरदायित्व का भलीभांति पालन कर रहे हैं।
क्रमरहित जांच भी शुरू की गई
उन्होंने बताया कि कुछ अन्य क्रमरहित जांच भी शुरू की गई हैं। प्रदेश के सभी जनपदों के वृद्धाश्रमों, राजकीय बाल गृह और नारी निकेतनों से नमूने एकत्र किए गए हैं। इनमें कुछ जगहों पर संक्रमण मिला। कानपुर नगर के राजकीय बालगृह और नारी निकेतन में संक्रमण मिला। इसके बाद वहां रहने वाले और लोगों के नमूने लिए गए जिसमें कुल 32 लोग संक्रमित मिले।
प्रसाद ने बताया कि सरकारी और निजी अस्पतालों में अग्रिम पंक्ति के कर्मियों की भी जांच कराई गई है। इसमें उन लोगों को चुना गया, जिनका जनता से अधिक मिलना-जुलना होता है। इसमें पंजीकरण डेस्क पर बैठने वाला क्लर्क, सुरक्षा गार्ड और ओपीडी में बैठने वाले चिकित्सक शामिल हैं। क्रमरहित जांच पूरे प्रदेश में की गई है। उन्होंने बताया कि इस तरह की जांच के अगले चरण में ऑटो चालकों, ट्रक चालकों, ढाबा कर्मियों को शामिल किया जाएगा। होम डिलीवरी से जुड़े लोगों, फलसब्जी विक्रेता, दवाई की दुकानों में काम करने वाले लोगों आदि के नमूनों की भी चरणबद्घ रूप से क्रमरहित जांच कराई जा रही है।