जम्मू। जम्मू कश्मीर में इस साल 10 जून तक नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से 2027 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ, जो पिछले वर्ष इसी अवधि में हुए संघर्ष विराम उल्लंघन से करीब 69 फीसदी अधिक है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों का मानना है कि संघर्ष विराम उल्लंघनों में वृद्धि इसलिए हो रही है क्योंकि पाकिस्तान गोलाबारी की आड़ में नियंत्रण रेखा के पार से आतंकवादियों की घुसपैठ कराने के लिए प्रयत्नशील है।
2019 में हुए कुल 3168 संघर्ष विराम उल्लंघन
वर्ष 2019 में कुल 3168 संघर्ष विराम उल्लंघन हुए थे जबकि 2018 में 1629 बार संघर्ष विराम उल्लंघन किया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने सेना द्वारा संकलित नए आंकड़े का हवाला देते हुए कहा, इस साल 10 जून तक कुल 2027 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन हुआ और मार्च में सर्वाधिक 411 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया गया।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी और गोलाबारी की जनवरी में 367, फरवरी में 366, अप्रैल में 387, मई में 382 तथा जून में पहले दस दिनों में 114 घटनाएं हुईं। अधिकारी के अनुसार वर्ष 2019 में 10 जून तक 926 बार संघर्ष विराम उल्लंघन हुआ, जिनमें जनवरी में 203, फरवरी में 215, मार्च में सर्वाधिक 267, अप्रैल में 234, मई में 221 तथा जून में पहले दस दिनों में 60 घटनाएं हुई थीं।
विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर रोजाना 11 बार हुआ संघर्ष विराम उल्लंघन
उनके मुताबिक अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को प्राप्त विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने और उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बाद पाकिस्तान औसतन रोजाना 11 बार संघर्ष विराम उल्लंघन कर रहा है।
पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने हाल ही में कहा था कि निकट अतीत में पाकिस्तानी गोलीबारी की आड़ में कुछ आतंकवादी घुसपैठ करने में कामयाब हुए हैं लेकिन नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर चौकस प्रहरियों ने घुसपैठ की ज्यादातर कोशिशें विफल कर दी हैं। उन्होंने कहा, इस बार उन्होंने बर्फ पिघलने का इंतजार भी नहीं किया और आतंकवादियों का पहला जत्था मार्च में ही अपनी नापाक कोशिश में लग गया।
रिपोर्टों के आकलन के मुताबिक नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार कश्मीर में 150-250 आंतकवादी (घुसपैठ के लिए) प्रशिक्षण शिविरों में हैं। अधिकारी ने कहा कि इस बीच इस साल इस केंद्रशासित प्रदेश में विभिन्न मुठभेड़ों में कुल 100 आतंकवादी मारे गए हैं जिनमें विभिन्न संगठनों के दर्जन भर से अधिक स्वयंभू कमांडर भी हैं।