वरिष्ठ संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेशीय चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ ने प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार को पांच सूत्री मांगपत्र का ज्ञापन सौंपा था। जिसमें मुख्य मांग चतुर्थ श्रेणी की भर्ती पर लगी रोक हटाने के लिए की गई थी, लेकिन आज तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। महासंघ ने लंबित पांच सूत्रीय मांगों की समीक्षा के बाद रविवार को बैठक में निर्णय लिया कि प्रदेश के सभी लोकसभा व राज्यसभा सदस्यों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों के आवासों पर जल्द धरना देकर ज्ञापन सौंपा जाएगा।
संगठन के प्रदेश महामंत्री सुरेश सिंह यादव ने कहा है कि चतुर्थ श्रेणी की भर्ती शुरू न करने से कर्मचारियों और सरकार में आमने-सामने का टकराव का संकट पैदा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए माननीय सांसद विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों प्रशासनिक अधिकारियों दी जाने वाली मुख्य सुविधाओं एवं खर्च में कटौती की जाए। उत्तर प्रदेश में चतुर्थ श्रेणी के करीब तीन लाख से ज्यादा पद रिक्त है। लगभग 30 हजार स्वास्थ्य विभाग, लगभग 80 हजार कलेक्ट्रेट कार्यालय में पद रिक्त हैं। कृषि विभाग में 20 हजार तो वाणिज्य कर विभाग, पीडब्ल्यूडी विभाग में लगभग 30 हजार, सिंचाई विभाग में 45 हजार, समाज कल्याण सात हजार पद रिक्त हैं। प्रदेश अध्यक्ष रामराज दुबे ने मांग की है कि कर्मचारियों के इलाज के लिए सभी प्राइवेट अस्पतालों में आपातकालीन चिकित्सा करवाने की व्यवस्था की जाए। उन्होंने बताया कि 20 अगस्त से पूरे प्रदेश में कर्मचारी सांसदों एवं प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा।