लखनऊ। वाराणसी की सिल्क साड़ी, भदोही के कालीन, लखनऊ का चिकन, कानपुर में बने चमड़े के उत्पाद, आगरा के जूते, अलीगढ़ी ताला, मुरादाबाद में बने पीतल के बर्तन जैसे कई सामान अब साइबर मार्किटों में धूम मचाने के लिए तैयार हैं। खादी विभाग के प्रमुख सचिव सहगल ने कहा कि विभाग ने समकालीन डिजाइनों में कारीगरों के प्रशिक्षण के लिए राष्ट्रीय फैशन डिजाइनिंग संस्थान (निफ्ट), रायबरेली के साथ भी करार किया है। उन्होंने बताया कि कुछ और उत्पाद जैसे शहद, चांदी के बर्तन, आदि सहित अन्य लघु उद्योगों की वस्तुओं को भी पोर्टफोलियो में शामिल करने की तैयारी में है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए, खादी, ग्रामोद्योग और एमएसएमई विभाग ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट’ के तहत प्रदेश में बने उत्पादों की ऑनलाइन ब्रांडिंग कर रहा है। खास बात यह है की अभी हाल ही में हुई ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-2 में भी सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम सेक्टर पर काफी जोर दिया गया और खुद मुख्यमंत्री योगी ने इस बात की चर्चा की थी। सेरेमनी के दौरान फ्लिपकार्ट समूह के सीईओ कल्याण कृष्णामूर्ति ने भी कहा था कि यह मंच उत्तर प्रदेश को ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य में बड़ा योगदान देगा। उन्होंने कहा, ‘यह सेरेमनी प्रदेश को पूरे देश में एक बड़े औद्योगिक और इनोवेशन हब बनाने के लिए बड़ा कदम है।’ उन्होंने कहा था कि व्यापार के हिसाब से यूपी फ्लिपकार्ट के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण सूबा है।
खादी विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया की इन उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतारने के लिए अमेजन से एक समझौता किया गया है। उन्होंने कहा, ‘हमने ओडीओपी योजना के तहत कुछ उत्पाद लांच कर दिए हैं।’ असल में पिछले साल विभाग ने खादी की ऑनलाइन ब्रांडिंग के लिए अमेजन के साथ एक करार किया था। यह एमओयू यूपी खादी विकास बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविनाश कृष्ण सिंह और राज्य की राजधानी में गोपाल पिल्लई के निदेशक और महाप्रबंधक – विक्रेता सेवाएं ने किया था।
प्रमुख सचिव सहगल ने कहा कि उसके बाद से राज्य से खादी उत्पाद ‘यूपी खादी’ के ब्रांड नाम के तहत अमेजन पर उपलब्ध कराये गए। समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद, उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया जिसने अमेजॅन के साथ खादी उत्पादों के विपणन और बिक्री के लिए समझौता किया। एमओयू के साथ, राज्य में सात खादी-उत्पादक संस्थान जोड़े गए थे बाकि कुछ और बाद में शामिल किये गए। वर्तमान में, राज्य खादी विभाग के साथ पंजीकृत लगभग 55 इकाइयों द्वारा निर्मित खादी वस्तुओं को इसके पोर्टल पर रखा गया है।
उन्होंने कहा, ‘यूपी खादी ब्रांड से उत्पादों के लांच होने के बाद हमे बहुत अच्छे नतीजे मिले। इस का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की शुरूआती दौर में खादी और ग्रामोद्योग के उत्पादों की मांग सप्लाई से ज्यादा हो गयी, जिसकी वजह से कुछ यूनिट्स बाद में जोड़े गए। खादी की सफलता के बाद यह तय किया गया की केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना ओडीओपी के तहत चिन्हित किये गए उत्पादों के लिए भी अमेजन से समझौता किया जाये।’ उन्होंने कहा कि अमेजन के साथ करार होने के बाद अब सरकार अन्य ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट्स से भी समझौता करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
ओडीओपी योजना के तहत, योगी सरकार 75 जिलों में क्षेत्र विशेष के पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही कदम उठा रही है। प्रदेश के 75 जिलों में उत्पाद विशिष्ट पारंपरिक औद्योगिक केंद्रों के लिए प्रसिद्ध है। इनमे बनारसी सिल्क साड़ी, भदोही के कालीन, लखनऊ की चिकनकारी, कानपुर में बने चमड़े के सामान, आगरा के चमड़े के जूते, अलीगढ़ी ताला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन, मेरठ में बने खेल के सामान, सहारनपुर के लकड़ी के उत्पाद शामिल हैं।
एक अन्य अधिकारी ने ने कहा कि इनमे से कई उत्पाद ऐसे हैं जिनकी विदेश में बहुत मांग है। उन्होंने कहा, ‘जैसे लखनऊ की चिकनकारी और बनारसी साडी। वैसे तो कई स्थानीय इकाइयां अपने-अपने स्तर पर इन का निर्यात कर रही हैं, लेकिन सरकार का मकसद इन्हे एक क्लस्टर के तौर पर आगे बढ़ाना है।’ उन्होंने कहा कि अब तक जो भी निर्यात हो रहा था उसमे यह देखा गया की ज्यादारतर यह काम कमीशन एजेंट्स के माध्यम से हो रहा था, जिसमे कारीगर को उतना मुनाफा नहीं होता है। इस व्यवस्था से अब कारीगर को सीधा फायदा मिलेगा।’
बताते चले की राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले साल लखनऊ में ‘वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट समिट’ का उट्घाटन किया था। इस समिट के दौरान गोरखपुर के हस्तशिल्पियों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया था। इसके बाद पूर्व खादी और ग्रामोद्योग मंत्री सत्यदेव पचौरी ने भी कहा था कि राज्य सरकार खादी को तेजी से विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जैसा कि महात्मा गांधी का सपना था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसकी कल्पना की थी। उन्होंने कहा था कि समझौते के माध्यम से, राज्य सरकार ने बड़े घरेलू और वैश्विक बाजार में एक सफल मंच बनाया। उन्होंने कहा, ‘हमने सौर चरखे को भी उद्योग का दर्जा दिया है और इससे लोग खादी का उत्पादन कर सकेंगे और ऊर्जा का संरक्षण करते हुए अधिक से अधिक कमा सकेंगे।’





