हाशिमपुरा नरसंहार मामला: 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा

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नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश में मेरठ के हाशिमपुरा इलाके में 1987 में हुए नरसंहार मामले में एक अल्पसंख्यक समुदाय के 42 लोगों की हत्या के जुर्म में 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें आरोपियों को बरी कर दिया गया था।

सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा

अदालत ने इस नरसंहार को पुलिस द्वारा निहत्थे और निरीह लोगों की लक्षित हत्या करार दिया। उच्च न्यायालय ने प्रादेशिक आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (पीएसी) के 16 पूर्व जवानों को हत्या, अपहरण, आपराधिक साजिश तथा सबूतों को नष्ट करने का दोषी करार दिया। सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए अदालत ने कहा कि पीड़ितों के परिवारों को न्याय के लिए 31 वर्ष इंतजार करना पड़ा और आर्थिक मदद उनके नुकसान की भरपाई नहीं कर सकती। उच्च न्यायालय ने सभी दोषियों को 22 नवंबर तक आत्मसमर्पण करने के आदेश दिए। दोषी करार दिए गए पीएसी के सभी 16 जवान सेवानिवृत्त हो चुके हैं।

16 पूर्व पुलिसकर्मियों को बरी करने…

निचली अदालत द्वारा हत्या तथा अन्य अपराधों के आरोपी 16 पूर्व पुलिसकर्मियों को बरी करने के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी। पीठ ने अपने आदेश में कहा, हम निचली अदालत के आदेश को पलटते हैं और 16 आरोपियों को आईपीसी के तहत आपराधिक साजिश, अपहरण,हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी करार देते हैं। पीठ ने कहा कि पीएसी जवानों के खिलाफ सबूत पक्के हैं और उनके खिलाफ आरोप बिना किसी शक के सही साबित हुए हैं। उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा जनसंहार में बचे जुल्फिकार नासिर सहित निजी पक्षों की अपीलों पर छह सितंबर को सुनवाई पूरी की थी।

जांच आगे बढ़ाने की मांग की

अदालत ने भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की उस याचिका पर भी फैसला सुरक्षित रख लिया था जिसमें उन्होंने इस मामले में तत्कालीन केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री पी चिदंबरम की कथित भूमिका का पता लगाने के लिए जांच आगे बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने 17 फरवरी 2016 को स्वामी की याचिका को इस मामले की अन्य याचिकाओं के साथ जोड़ दिया था। इससे पहले 21 मार्च 2015 को निचली अदालत ने पीएसी के 16 पूर्व जवानों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। अदालत ने कहा था कि सबूतों के अभाव में उनकी पहचान निर्धारित नहीं की जा सकती। हाशिमपुरा नरसंहार काण्ड के प्रभावित परिवारों की याचिका पर उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2002 में इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था।

19 व्यक्तियों को आरोपित किया

इस मामले में 2006 में अदालत ने 19 व्यक्तियों को आरोपित किया था। इनमें से 17 आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, साक्ष्यों से छेड़छाड़ और साजिश के आरोप निर्धारित किए गए थे। इन 17 आरोपियों में से निचली अदालत ने 16 को बरी कर दिया था जबकि एक आरोपी की मुकदमे के दौरान ही मृत्यु हो गई थी। इस मामले में और जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी हस्तक्षेप किया था। निचली अदालत ने आठ मार्च, 2013 को इस नरसंहार में 1986 और 1989 के दौरान केन्द्रीय मंत्री रहे चिदंबरम की भूमिकी की आगे जांच के लिए स्वामी की याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद, स्वामी ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।